Sunday, September 8, 2024

प्रेग्नेंसी


1.

जोर से गले भी नहीं लगा पा रहा आजकल

तुम्हारा पिट्टू बीच में आ जाता है

बात बात पे जो धोल जमा देते थे पीठ पे

वो भी नहीं हो पा रहा

न ही बगल में बैठे बैठे

कंधे से धक्क् कर दिया करता था, वो ही।


तुम्हारे पिट्टू को चूमकर

को असीम खुशी मिलती है

इस सुख में सबकुछ भूल जाता हूं

वो लफ्जों में नहीं कह पाऊंगा


हां, तुम ही कहती थीं "दौड़ा करो."

अब स्ट्रेन आ गया है पांव में

अब तुम्हारे मूड स्विंग्स पे

पेम्पर भी नहीं कर पा रहा

न कुछ अच्छा बना खिला पा रहा हूं।

अब भुगतो मुझे दौड़ाने का नतीजा!


तुम गोलू हो गई हो

तुम पर प्यार बहुत आता है

तुम डांटने भी बहुत लगी हो इसलिए

जताने से डर भी लगता है


चौपाटी पर गोलगप्पे खिलाना चाहता हूं

लेकिन मन को मना कर देता हूं

स्वस्थ होना जरूरी है न तुम्हारा

किसी दिन उलझी सी दिखती हो

तो बाल संवारकर सब ठीक होगा कहने का मन होता है

कल से ऑफिस न जाना कई बार कहने का मन होता है

लेकिन तुम खुद को बेहतर जानती हो।


कभी कहा नहीं लेकिन

ड्राई फ्रूट्स शेक टेस्टी नहीं लगता

साथ देने पी जरूर लेता हूं

कभी कहा नहीं लेकिन

"शुक्रिया" तुम्हारा 'तुम' होने के लिए

जैसे हो वैसा होने के लिए

और सबसे ज्यादा

मेरे साथ होने के लिए

और इतनी सारी खुशी देने के लिए।

देखो सीधे सीधे कहना नहीं आता इसलिए 

इतनी बड़ी नज़्म लिखनी पड़ी।

--**--

2.

मेरी सारी टी-शर्ट, सारे ट्रैक पेंट्स

तुम्हारे हो गए हैं,

कुछ तो अब मुझे भी ढीले हो जायेंगे

मेरे लिए नए कपड़े खरीदना अब तुम्हारी जिम्मेवारी होगी।


लेट नाइट मैग्गी की क्रेविंग बहुत होती है

हर बार नहीं बनाऊंगा


कितने फ्रूट्स खा रही हो

सेब सी गोलू होती जा रही हो।


हॉरर फिल्म के लिए न 

एक्शन फिल्म के लिए न 

लव स्टोरीज़ से बोर नहीं हो गई हो?

(कितना ख्याल रखती हो,

कि आनेवाले बच्चे पर इनका बुरा असर न पड़े!)


कभी कभी पलटकर

तुम्हें चूम लेना चाहता हूं,

कभी तुम्हारे पिट्टू को...


तुम्हारा साथ और ये अनुभव

“It's not the destination, it's the journey”

के मायने ज्यादा समझने लगा हूं।


तुम्हारे बालों में उंगलियां फिरा

कभी कभी कहना चाहता हूं

"शुक्रिया"

तुम्हारे पिट्टू पर हाथ रख

पढ़ना चाहता हूं इबादतें

'तुम्हारे साथ होने को'

'मुकम्मल' लफ्ज़ से बदल देना चाहता हूं।

--**-- 

3.

'वी आर प्रेग्नेंट' कितना नया शब्द है न!

'ईश्वर औरत को देता है सज़ा कर्मों की

इसलिए होता ये ये असहनीय दर्द बच्चा जनने पर.'

'औरत कितनी भी कोशिशें कर ले मोक्ष नहीं पा सकती है,

जन्मना होगा उसे पुनः पुरुष रूप में!'


कितनी ही कहानियां हैं

जो आधी आबादी को दोयम दर्ज़े का नागरिक बनाने पे तुली रहीं.


'वी आर प्रेग्नेंट' कितना नया शब्द है न!

सभ्यता को तीन हज़ार साल लग गए यह समझने में

जबकि सबसे शुरू से पता था

कि पुरुष बच्चे नहीं जन सकते.

--**-- 

4.

वो कंधे पे सर रख अपने दिन की थकान मिटाती है

बहुत सारा बतियाती है

ऑफिस की पूरी कहानी सुनाती है

फिर पिट्टू को पकड़ मैगी की डिमांड है

मैं उसका पिट्टू चूम लेता हूं

बच्चा किक करता है और हम खिलखिला उठते हैं

प्रेग्नेंसी कितनी खूबसूरत है न!

- - 

वो थक गई है

मैं उसके पैर दबाता हूं

वो मेरा हाथ पकड़ सो जाती है

मैं उसके गहरी नींद में जाने का इंतजार करता हूं

फिर चादर उड़ाते सोचता हूं

प्रेग्नेंसी कितनी खूबसूरत है न!

-- 

लेबर रूम में विदा करते वो

कसकर मेरा हाथ पकड़े है

जैसे कह रही हो

सब ठीक होगा ना? 

मैं सबके सामने उसे चूम लेता हूं

"हां न बच्चा सब ठीक होगा"


नन्हीं सी जान और उसकी मां

दोनों की प्रेमल आंखें

दोनों मुस्कुरा रहे हैं कुछ घंटों बाद!


बच्चा जैसे कहता है

'मैं खूबसूरत हूं ना?'


"और प्रेग्नेंसी कितनी खूबसूरत है न!" मैं जवाब देता हूं।