मुझसे कहा गया
मैं मंदिर जाऊंगा वहां ईश्वर मिलेगा.
मैंने तुम्हारी आँखों में देखा
ईश्वर वहां मुस्कुराता झांक रहा था.
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बुद्ध, महावीर
मूर्तियों में क़ैद कर दिए गए.
उनका कहा
बड़ा कठोर, नग्न सच था.
उनका हश्र
यही होना था!
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जब मेरी उँगलियों की पौरें,
तुम्हारी उँगलियों की पौरों को
आहिस्ता-आहिस्ता छूती हैं...
तब सृष्टि का निर्माण
हौले-हौले शुरू होता है...
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मेरे माथे को चूम खिलखिलाना,
मेरी हंसी में बस जाना.
मुझे गले लगाना,
मेरे सीने में समा जाना.
मेरे होंठों पे जमा कर देना खुद को,
चूमकर.
हाथों में लम्स,
छूकर.
देखें,
फिर हमें कौन जुदा करता है.
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मुझे कोई देखे,
उसकी नज़र
तुम्हारी मुस्कान पर ठहर जाये!
तुम समाना
इस तरह
मेरे अंदर!
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मेरे पास खेत नहीं कि
धान उगाता.
मेरे पास प्रेम था,
मैंने प्रेम उगाया.
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