पापा की भाईसाहब को सुलाने की कोशिश हो रही हैं, उनके चेहरे से नींद नदारद है। भाईसाहब चिल्लाना शुरू करते हैं "पापा ती येलो वाली धड़ी ताहिए। येलो धड़ी..." और रोना चिल्लाना शुरू हो जाता है। पापा बेचारे अपनी सभी घड़ियां उनके पास रख देते हैं, लेकिन उनमें कोई से भी "येलो धड़ी" नहीं है। भाईसाहब अपना शोर जारी रखते हैं। मम्मा लेटी हुई है, बेचारी आधी नींद में से उठ जाती है।
पापा पूछते हैं "मैं अब येलो घड़ी कहां से लाऊं?"
मम्मा झल्लाकर बोलती है "उसे पापा की येलो गाड़ी चाहिए, घड़ी नहीं।"
पापा राहत की सांस लेते हैं, भाईसाहब कार हाथ में लिए लिए दस मिनट में सो जाते हैं!
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