भाईसाहब का पर्सनल गैराज है. इसमें इतनी गाडियां हैं जितनी पापा मम्मा के पास मिला कर भी नहीं हैं. एक घोड़ा भी है जिसपर भाईसाहब कभी कभी हॉर्स राइडिंग पर निकलते हैं, एक हाथी भी है जो मॉल में जोर- जोर से 'हाती ददा...', 'हाती दादा...' चिल्ला-चिल्लाकर रोकर खरीदा गया है. यह दौड़ता नहीं है, लेकिन भाईसाहब इसे रेंगा जरूर लेते हैं. बाकि की गाडियां, ट्राइसिकिल, बाइसिकिल इत्यादि के अलावा अब डिमांड एक बाइक की है. चाचू ने 'बडूम... बुडूम...' की आवाज निकाल गाड़ी-गाड़ी कहना सिखा भी दिया है. भाईसाहब एक बार टेस्ट ड्राइव भी ले चुके हैं. अब बस एक बार और मॉल जाने की दरकार है और फिर वही रो-रोकर चिल्लाकर ब्लैकमेलिंग शुरू हो जाएगी और इनके गैराज में बाइक का भी इज़ाफ़ा हो जाएगा.
#शौर्य_गाथा
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