मैं बदहवास घर के चप्पे चप्पे में तुम्हें खोजता हूँ
लेकिन तुम नहीं मिलते
उन दीवारों में भी नहीं जिनसे टिककर मैंने तुम्हें चूमा था.
तुम्हरी यादें रोटियों की शक्ल ले लेती है
तुम्हारा जिस्म कविता हो जाता है
और तुम्हारी रूह गौरैया सी लगती है
बचपन में जिसके घोंसले से गिर
एक अंडा फूट गया था.
उस गलती की सजा शायद मैं अब भुगत रहा हूँ.
लेकिन तुम नहीं मिलते
उन दीवारों में भी नहीं जिनसे टिककर मैंने तुम्हें चूमा था.
तुम्हरी यादें रोटियों की शक्ल ले लेती है
तुम्हारा जिस्म कविता हो जाता है
और तुम्हारी रूह गौरैया सी लगती है
बचपन में जिसके घोंसले से गिर
एक अंडा फूट गया था.
उस गलती की सजा शायद मैं अब भुगत रहा हूँ.
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