तुमने जगनमोहन पैलेस देखा है? #मैसूर आने वाले लोग अक्सर वहां नहीं जाते, बस मैन पैलेस देख के चले जाते हैं. आर्ट गैलरी है जगनमोहन, और 'ड्यूड' और 'कूल' लोग आर्ट गैलरी और म्यूजियम नहीं देखते. मैंने कई-कई दिन, कई-कई घंटे वहां बिताये हैं. चुगताई की आँखे ले उसकी पेंटिंग्स देखी हैं. राजा रवि वर्मा से एक दफे पूछा भी था कि सिर्फ देवता ही क्यों, और ये खूबसूरत अर्धनग्न देवियाँ...?
उसने कहा था कि उस वक़्त यही चलता था. धार्मिक पुनरुत्थान का वक़्त था वो.. सबको देवता चाहिए थे... देसी देवता. लेकिन सबको अपनी स्त्रियां चाहिए थीं मेमों से ज्यादा सुन्दर. रजवाड़ों को चाहिए थीं मेमें हरम में सजाने. मैंने पहले देश घुमा फिर ये चित्र बनाये.
बेवकूफी लगा था उसका ये कहना. लेकिन अब लगता है वो सही था. देखो मैं भी तो वही लिखता हूँ जो तुम्हें पसंद है... और जब किताबें लिखूंगा तो अवाम की पसंद की.
कला पे खुद कलाकार का हक़ कब रहा है...?
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