लियो बबौटा ग्वाम में रहते हैं और एक बहुत उपयोगी ब्लॉग ज़ेन हैबिट्स के ब्लौगर हैं। वे लेखक, धावक, और शाकाहारी हैं। उन्होंने हाल में ही एक बेस्ट-सेलिंग पुस्तक ‘The Power of Less’ लिखी है। उनके ब्लॉग पर आप सफलता पाने, रचनात्मकता बढ़ाने, व्यवस्थित होने, प्रेरित होने, क़र्ज़ से निजात पाने, पैसा बचाने, दुबला होने, अच्छा खाने, सहज रहने, बच्चों का लालन-पालन करने, खुश रहने, और अच्छी आदतें विकसित करने के लिए बेहतरीन पोस्ट पढ़ सकते हैं।
हाल में मेरे एक पाठक ने मेरे रोज़ सवेरे 4:30 बजे उठने की आदत, इसके लाभ और उठने के उपायों के बारे में पूछा। उनका सवाल बहुत अच्छा है पर सच कहूँ तो इसके बारे में मैंने कभी गंभीरता से नहीं सोचा।
वैसे, इस आदत के कुछ लाभ तो हैं जो मैं आपको बता सकता हूँ:
पहले मैं आपको यह बता दूँ की यदि आप रात्रिजीवी है और इसी में खुश हैं तो आपको अपनी आदत बदलने की कोई ज़रूरत नहीं है। मेरे लिए रात का उल्लू होने के बाद जल्द उठने वाला जीव बनना बहुत बड़ा परिवर्तन था। इससे मुझे इतने सारे लाभ हुए कि अब मुझसे सवेरे देर से उठा न जाएगा। लाभ ये हैं:
1 – दिन का अभिवादन – सवेरे जल्दी उठने पर आप एक शानदार दिन की शुरुआत होते देख सकते हैं। सवेरे-सवेरे जल्द उठकर प्रार्थना करने और परमपिता को धन्यवाद देने का संस्कार डाल लें। दलाई लामा कहते हैं – “सवेरे उठकर आप यह सोचें, ‘आज के दिन जागकर मैं धन्य हूँ कि मैं जीवित और सुरक्षित हूँ, मेरा जीवन अनमोल है, मैं इसका सही उपयोग करूँगा। अपनी समस्त ऊर्जा को मैं आत्मविकास में लगाऊँगा, अपने ह्रदय को दूसरों के लिए खोलूँगा, सभी जीवों के कल्याण के लिए काम करूँगा, दूसरों के प्रति मन में अच्छे विचार रखूँगा, किसी से नाराज़ नहीं होऊंगा और किसी का बुरा नहीं सोचूंगा, दूसरों का जितना हित कर सकता हूँ उतना हित करूँगा'”।
2 – शानदार शुरुआत – पहले तो मैं देर से उठा करता था और बिस्तर से उठते ही ख़ुद को और बच्चों को तैयार करने की जद्दोजहद में लग जाता था। कैसे तो भी बच्चों को स्कूल में छोड़कर दफ्तर देर से पहुँचता था। मैं काम में पिछड़ रहा था, उनींदा सा रहता था, चिडचिडा हो गया था। हर दिन इसी तरह शुरू होता था। अब, मैंने सवेरे के कामों को व्यवस्थित कर लिया है। बहुत सारे छोटे-छोटे काम मैं 8:00 से पहले ही निपटा लेता हूँ। बच्चे और मैं तब तक तैयार हो जाते हैं और जब दूसरे लोग आपाधापी में लगे होते हैं तब मैं काम में लग जाता हूँ। सवेरे जल्दी उठकर अपने दिन की शुरुआत करने से बेहतर और कोई तरीका नहीं है।
3 – दिन की शांत शुरुआत – बच्चों की चें-पें, खेलकूद का शोर, गाड़ियों के हार्न, टी वी की चिल्लपों – सवेरे यह सब न के बराबर होता है। सुबह के कुछ घंटे शांतिपूर्ण होते हैं। यह मेरा पसंदीदा समय है। इस समय मैं मानसिक शान्ति का अनुभव करता हूँ, स्वयं को समय दे पता हूँ, खुली हवा में साँस लेता हूँ, मनचाहा पढता हूँ, सोचता हूँ।
4 – सूर्योदय का नज़ारा – देर से उठनेवाले लोग हर दिन घटित होनेवाली प्रकृति की आलौकिक प्रतीत होनेवाली बात को नहीं देख पाते – सूर्योदय को। रात काले से गहरे नीले में तब्दील होती है, फ़िर हलके नीले में, और आसमान के एक कोने में दिन की सुगबुगाहट शुरू हो जाती है। प्रकृति अपूर्व रंगों की छटा प्रस्तुत करती है। इस समय दौड़ने की बात ही कुछ और है। दौड़ते हुए मैं दुनिया से कहता हूँ – “कितना शानदार दिन है!” सच में!
5 – नाश्ते का आनंद – सवेरे जल्दी उठकर ही आप नाश्ते का आनंद ले सकते हैं। नाश्ता दिनभर का सबसे ज़रूरी भोजन है। नाश्ते के बिना हमारी देह धीमी आंच पर काम करती है और दोपहर के भोजन तक हम इतने भूखे हो जाते हैं की कुछ भी अटरम-सटरम खा कर पेट टाइट कर लेते हैं, जैसे समोसे, जलेबी, पोहा, पकौडे, आदि। सवेरे अच्छा नाश्ता कर लेने से इनकी ज़रूरत नहीं पड़ती। इसके अलावा, चाय-काफी की चुस्कियां लेते हुए सवेरे अख़बार पढ़ना या दफ्तर में काम की शुरुआत करना कितना सुकूनभरा है!
6 – कसरत करना – यूँ तो आप दिनभर में या शाम को कभी भी कसरत कर सकते हैं पर सवेरे-सवेरे यह करने का फायदा यह है कि आप इसे फ़िर किसी और समय के लिए टाल नहीं सकते। दिन में या शाम को तो अक्सर कई दूसरे ज़रूरी काम आ जाते हैं और कसरत स्थगित करनी पड़ जाती है।
7 – रचनाशीलता होना – सभी इस बात को मानेंगे की सुबह का समय बहुत रचनात्मक ऊर्जा से भरा होता है। सुबह किसी किस्म का व्यवधान नहीं होता और मैं लिखता हूँ, मेल पढता हूँ, ब्लॉगिंग करता हूँ। इस तरह समय की थोड़ी बचत हो जाती है तो मैं शाम को परिवार के साथ वक़्त गुज़र लेता हूँ, जो बहुत ज़रूरी है।
8 – लक्ष्य बनाना – क्या आपने अपने लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं? नहीं? आपको करना चाहिए! लक्ष्य बनाइये और सुबह जल्दी उठकर उनकी समीक्षा करिए। इस सप्ताह कोई एक काम करने की ठान लें और उसे समय पर पूरा कर लें। लक्ष्य बनाने के बाद हर सुबह उठकर यह तय करें कि आज आप अपने लक्ष्य को पाने की दिशा में कौन से कदम उठाएंगे! और वह कदम आप हर सुबह सबसे पहले उठायें।
9 – काम पर आना-जाना – भयंकर ट्रेफिक में आना-जाना कोई पसंद नहीं करता। दफ्तर/काम के लिए कुछ जल्दी निकल पड़ने से न केवल ट्रेफिक से छुटकारा मिलता है बल्कि काम भी जल्द शुरू हो जाता है। यदि आप कार से जाते हैं तो पेट्रोल बचता है। थोड़ा जल्दी घर से निकल रहें हो तो मोटरसाईकिल चलाने का मज़ा उठा सकते हैं।
10 – लोगों से मिलना-जुलना – सवेरे जल्दी उठने के कारण लोगों से मिलना-जुलना आसान हो जाता है। जल्दी उठें और तय मुलाक़ात के लिए समय पर चल दें। जिस व्यक्ति से आप मिलने जा रहे हैं वह आपको समय पर आया देखकर प्रभावित हो जाएगा। आपको मुलाक़ात के लिए ख़ुद को तैयार करने का समय भी मिल जाएगा।
यह तो थे जल्द उठने के कुछ फायदे। अब जल्द उठने के तरीके बताऊंगा:
* यकायक कोई बड़ा परिवर्तन न करें – यदि आप 8 बजे उठते हैं तो कल सुबह 5 बजे उठने के लिए अलार्म नहीं लगायें। धीमी शुरुआत करें। कुछ दिनों के लिए समय से 15मिनट पहले उठने लगें। एक हफ्ते बाद आधे घंटे (15 मिनट बढाकर) पहले उठने लगें। ऐसा ही तब तक करें जब तक आप तय समय तक न पहुँच जायें।
* थोड़ा जल्दी सोने का प्रयास करें – देर रात तक टी वी देखने या इन्टरनेट पर बैठने के कारण आपको देर से सोने की आदत होगी लेकिन यदि आप सवेरे जल्दी उठने की ठान लें तो यह आदत आपको बदलनी पड़ेगी। अगर आपको जल्द नींद न भी आती हो तो भी समय से कुछ पहले बिस्तर पर लेट जायें। चाहें तो कोई किताब भी पढ़ सकते हैं। अगर आप दिनभर काम करके ख़ुद को थका देते हों तो आपको जल्द ही नींद आ जायेगी।
* अलार्म घड़ी को पलंग से दूर रखें – यदि आप अपनी घड़ी या मोबाइल में अलार्म लगाकर उसे सिरहाने रखते हैं तो सवेरे तय समय पर अलार्म बजने पर आप उसे बंद क़र देते हैं या स्नूज़ कर देते हैं। उसे पलंग से दूर रखने पर आपको उसे बंद करने के लिए उठना ही पड़ेगा। एक बार आप पलंग से उतरे नहीं कि आप अपने पैरों पर होंगे! अब पैरों पर ही बनें रहें और काम में लग जायें।
* अलार्म बंद करते ही बेडरूम से निकल जायें – अपने दिमाग में बिस्तर पर फ़िर से जाने का ख्याल न आने दें। कमरे से बाहर निकल जायें। मेरी आदत है कि मैं उठते ही बाथरूम चला जाता हूँ। बाथरूम से निकलने के बाद ब्रश करते ही दिन शुरू हो जाता है।
* उधेड़बुन में न रहें – यदि आप सोचते रहे कि उठें या न उठें तो आप उठ नहीं पाएंगे। बिस्तर पर जाने का ख्याल मन में आने ही न दें।
* अच्छा कारण चुनें – सुबह-सुबह करने के लिए कोई ज़रूरी काम चुन लें। इससे आपको जल्दी उठने में मदद मिलेगी। मैं सवेरे ब्लॉग पर लिखना पसंद करता हूँ – यह मेरा कारण है। जब यह काम हो जाता है तब मैं आपके कमेंट्स पढ़ना पसंद करता हूँ।
* जल्दी उठने को अपना पारितोषक बनायें – शुरू में यह लग सकता है कि आप जल्दी उठने के चक्कर में ख़ुद को सता रहे हैं। लेकिन यदि आपको इसमें आनंद आने लगा तो आपको यह एक उपहार/पुरस्कार लगने लगेगा। मेरा पारितोषक है गरमागरम कॉफी बनाकर किताब पढ़ना। स्वादिष्ट नाश्ता बनाकर खाना या सूर्योदय देखना या ध्यान करना आपका पारितोषक हो सकता है। कुछ ऐसा ढूंढें जिसमें आपको वास्तविक आनंद मिलता हो और उसे अपनी प्रातः दिनचर्या का अंग बना लें।
* बाकी बचे हुए समय का लाभ उठायें – सिर्फ़ 1-2 घंटा पहले उठकर कम्प्युटर पर ज्यादा काम या ब्लॉगिंग करने में कोई तुक नहीं है। यदि यही आपका लक्ष्य है तो कोई बात नहीं। जल्दी उठकर मिले अतिरिक्त समय का दुरुपयोग न करें। अपने दिन को बेहतर शुरुआत दें। मैं बच्चों का लंच बनाता हूँ, दिन में किए जाने वाले कामों की योजना बनाता हूँ, कसरत/ध्यान करता हूँ, पढता हूँ। सुबह के 7:00 तक तो मैं इतना कर चुका होता हूँ जितना दूसरे कई लोग दिनभर में करते हैं।
Source: http://hindizen.com/how-to-get-up-early/
No comments:
Post a Comment