सड़कनामा
प्यार करना बहुत ही सहज है, जैसे कि ज़ुल्म को झेलते हुए ख़ुद को लड़ाई के लिए तैयार करना. -पाश
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Tuesday, January 14, 2014
वसीयत
वसीयत में लिख दो तुम,
दो किलो अचार माँ.
लिख देना अपनी गोद और मेरा सिर,
माथे पे दो चुम्बन और
चूल्हे से सीधे उतारे दो-चार फुल्के.
वसीयत में लिखना सारा वात्सल्य,
अगले जन्म का वादा....बस, इतना काफी है.
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