मैं सिगरेट नहीं पीता आज भी,
शायद तेरी यादें
अभी इतनी कमजोर नही पड़ी,
कि कुछ और पीना शुरू कर दूँ!
अभी तो वो
झील किनारे रखी बेंत
अक्सर मखौल उड़ाने आ जाती है.
कहती है-
'एक बार फिर नहीं आये.
इस दफा अकेले ही आ जाते!'
वो नमीं का चाँद
अक्सर बड़बडाता है,
'एकछत के नीचे
चुने सपने कहाँ हैं तुम्हारे?'
मैं आज भी सिगरेट नहीं पीता.
...क्यूंकि यादें अभी बची हैं.
कुछ और दिन काट सकता हूँ
इन्हीं के भरोसे!
~V!Vs