प्यार करना बहुत ही सहज है, जैसे कि ज़ुल्म को झेलते हुए ख़ुद को लड़ाई के लिए तैयार करना. -पाश
वक़्त को आते न जाते न गुजरते देखान उतरते हुए देखा कभी इलहाम की सूरतजमा होते हुए एक जगह मगर देखा हैशायद आया था वो ख़्वाब से दबे पांव हीऔर जब आया ख़्यालों को एहसास न थाआँख का रंग तुलु होते हुए देखा जिस दिनमैंने चूमा था मगर वक़्त को पहचाना न थायाद किया तुम्हें "गुलज़ार"...हर दिन..अनु
मैं कमेंट्स का आप्शन बंद इसलिए किये रहता था, क्यूंकि 'बढ़िया', 'शानदार' जैसे कमेंट्स से तंग आ चुका था. जब कोई एसे कमेंट करता है तो लिखा सार्थक लगता है. शुक्रिया अनु!
badhiya kavita
Post a Comment
3 comments:
वक़्त को आते न जाते न गुजरते देखा
न उतरते हुए देखा कभी इलहाम की सूरत
जमा होते हुए एक जगह मगर देखा है
शायद आया था वो ख़्वाब से दबे पांव ही
और जब आया ख़्यालों को एहसास न था
आँख का रंग तुलु होते हुए देखा जिस दिन
मैंने चूमा था मगर वक़्त को पहचाना न था
याद किया तुम्हें "गुलज़ार"...हर दिन..
अनु
मैं कमेंट्स का आप्शन बंद इसलिए किये रहता था, क्यूंकि 'बढ़िया', 'शानदार' जैसे कमेंट्स से तंग आ चुका था. जब कोई एसे कमेंट करता है तो लिखा सार्थक लगता है. शुक्रिया अनु!
badhiya kavita
Post a Comment