चाय में
जब भी चीनी ज्यादा होती है,
दाल बड़ी सादा होती है,
चावल संग अचार खाता हूँ,
तकिया रख सोने जाता हूँ.
बिखरी किताबें समेटता हूँ
पुराने पेपर सहेजता हूँ.
;चम्पक', 'नंदन', 'सरिता' सी,
पहली लिखी कविता सी.
तवे पे अधजली रोटी में,
'कैरम' की गोटी में,
शीशे में जब भी
अपने अक्स से नज़रें मिलाता हूँ,
तुझे पीछे खड़ा पाता हूँ.
जब भी चीनी ज्यादा होती है,
दाल बड़ी सादा होती है,
चावल संग अचार खाता हूँ,
तकिया रख सोने जाता हूँ.
बिखरी किताबें समेटता हूँ
पुराने पेपर सहेजता हूँ.
;चम्पक', 'नंदन', 'सरिता' सी,
पहली लिखी कविता सी.
तवे पे अधजली रोटी में,
'कैरम' की गोटी में,
शीशे में जब भी
अपने अक्स से नज़रें मिलाता हूँ,
तुझे पीछे खड़ा पाता हूँ.
1 comment:
ye instances jo hain... aachaar...kitaabein...chaaye......kamaal hain....ekdum sacchi aur dil se nikli nazm hai ye....
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