लिहाजों
लिवासों
लफासों
सवालों से
भरी ये ज़िन्दगी...
थमी सी
रुकी सी
चली सी
उड़ी सी
बढ़ी ये ज़िन्दगी...
तुममें भी
हममें भी
खुशियों में
गम में भी
थोड़े उजाले में
तम में भी
दौड़ी चली ये ज़िन्दगी...
ये ज़िन्दगी...
ये ज़िन्दगी.......
इकरारों में
इन्कारों में
इशरारों में
इशारों में
कुछ कहती
कुछ सुनती
ख्वाब नये बुनती
चल पड़ी ज़िन्दगी....
ये ज़िन्दगी...
ये ज़िन्दगी.......
बेनामी में
सुनामी में
सूखे में
अकाली में
दो दानों में
खाली थाली में
डगमगायी, सम्हली ज़िन्दगी....
ये ज़िन्दगी....
ये ज़िन्दगी.........
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी, ज़िन्दगी.......
खुशनसीब ज़िन्दगी,
हर दिल अज़ीज़ ज़िन्दगी...
ये ज़िन्दगी...
ज़िन्दगी, ज़िन्दगी............ज़िन्दगी.
7 comments:
जब भी Instrument ले बैठता हूँ...कुछ ना कुछ निकलता है, धुन नहीं तो गाने ही....
बहुत खूबसूरत है ये ज़िंदगी
bahut pyari lagi ye gungunati si zindgi...:)
or agar mujhese poocho kya hai zindgi to mai ye kahungi ki....
"zindgi tu hath thaame yun hi chalna tabtalak...
jabtalak poore na ho jayen mere apno ke kwaab"
good one :)
Thanks :)
Wow!!
"zindgi tu hath thaame yun hi chalna tabtalak...
jabtalak poore na ho jayen mere apno ke kwaab"
Thank you :)
thanks a lot :) :D
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