क्या लिखूं मैं तुमपर,
सांझ का इकरार हो तुम-
तुम में ही.
क्या लिखूं मैं तुमपर,
मेरे नीड़ के निर्माण का सपना हो तुम,
उसकी हर ईंट में छुपा प्यार,
और उसका दीपक भी......
सब तुम्ही तो हो.
मेरी बिन तारों की,
अंधियाती जिंदगी का चाँद,
मुरझाती रूह को जल
और टूटते सब्र को बाँध.
सब तुम्ही तो हो.
उंगलियों के बीच की जगह
हमेशा तुम्हारी उँगलियों से भरना चाहता हूँ में,
फिर क्या लिखू तुम्हारे बारे में,
जब सब ही तो तुम हो.......और
में ही तुम हो.
No comments:
Post a Comment